विधा :- स्वंतत्र
किसने बनाया आंतकवाद ,
ना इसका कोई धर्म ना जात
इंसानियत से तो कोई नाता नहीं
हैवानियत का पुजारी है यह
कितने घर उजाड़े इसने
कितनो की मांगें उजाड़ दी
कितनी कोखें सूनी कर दी
हर और दहशत फैला दी
भाई भाई का दुश्मन बना दिया
जिसका कोई वजूद ही नहीं
उसपे झगड़ा करवा दिया
वाह रे वाह आंतकवाद ...........
सरे राह बहन बेटी की इज्ज़त
उछाल रहे हो नाम जिहाद का देकर
माँ सूनी आँखों से राह निहारटी
उस पूत की जो कभी आने वाला नहीं
नन्हें दीयों को बुझा कौन सा
उजाला करने वाले हो .........
खून की नदियाँ बहा
किसे पवित्र करने वाला है
सोच के देखो कल
इनकी जगह तुम्हारे अपने होंगे
मत जिओ भ्रम में
जो बीज रहे हो कल काटना भी है .......आशा शर्मा डोहरू
किसने बनाया आंतकवाद ,
ना इसका कोई धर्म ना जात
इंसानियत से तो कोई नाता नहीं
हैवानियत का पुजारी है यह
कितने घर उजाड़े इसने
कितनो की मांगें उजाड़ दी
कितनी कोखें सूनी कर दी
हर और दहशत फैला दी
भाई भाई का दुश्मन बना दिया
जिसका कोई वजूद ही नहीं
उसपे झगड़ा करवा दिया
वाह रे वाह आंतकवाद ...........
सरे राह बहन बेटी की इज्ज़त
उछाल रहे हो नाम जिहाद का देकर
माँ सूनी आँखों से राह निहारटी
उस पूत की जो कभी आने वाला नहीं
नन्हें दीयों को बुझा कौन सा
उजाला करने वाले हो .........
खून की नदियाँ बहा
किसे पवित्र करने वाला है
सोच के देखो कल
इनकी जगह तुम्हारे अपने होंगे
मत जिओ भ्रम में
जो बीज रहे हो कल काटना भी है .......आशा शर्मा डोहरू
बहुत अच्छी रचना है .
ReplyDeleteआभार Madhulika Patel ji
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