जैसे ही मैं स्कूल के गेट पे पहुंचा तो देखा की आज फिर वो लड़का अपनी छोटी बहिन का हाथ थामें गेट पे खड़ा था | मन में आया कि कैसे माँ बाप हैंबच्चों से जान छुडवाने के लिए इतनी सुबह इन नन्हे बच्चों को घर से भेज दिया | बिना कुछ पूछे मैंने गेट खोला क्यूंकि अभी तक चपरासी महाशय नहीं पहुंचे थे |फिर मैंने देखा की वो अपनी छोटी बहिन का हाथ थामें विद्यालय के अंदर आया और उसे अपने पास बिठा कर एक जगह बैठ गया | मैं प्रतिदिन उनेह गेट के बहार खड़े पाता | ठिठुरती सर्दी में भी | मुझसे रहा नहीं गया
मैंने उन बच्चों को अपने पास बुलाया और पुछा ."बेटा आप इतनी सुबह सुबह स्कूल खुलने से भी पहले स्कूल क्यूँ आ जाते हो ?"
उस बच्चे का जबाब सुन कर मैं सन रह गया | उसने कहा ,"मास्टर जी माँ सुबह सुबह लोगों के घरों में काम करने चली जाती है |हमें स्कूल के लिए तैयार करके जाती हैं |घर में और कोई नहीं है तो वो हमें स्कूल भेज कर घर में ताला लगा देती है |"उस बच्चे ने बताया कि उसके पिता की मौत हो चुकी है घर में कोई और कमाने वाला नहीं है |" यह घटना जालंधर के पास के एक गांव की है | यह सुनकर उस अध्यापक ने उन बच्चों को अपना लिया |उनकी पढाई का सारा खर्च और रोजमर्रा की सभी जरूरतों को पूरा किया | यह बच्चों की लगन कहिये या अध्यापक की मेहनत वो बच्चे पढ़ाई में बहुत होशियार निकले |
अपनी पढ़ाई पूरी करके वो लड़का और लड़की विदेश में अच्छे पद के लिय चुन लिए गए |वो बच्चे आज भी अपने अध्यापक से जुड़े हुए हैं और पता नहीं उस स्कूल के कितने बच्चों की पढ़ाई का खर्च वहन कर रहे हैं |वो पूर्णतया उस स्कूल और अधायपक को समर्पित हैं | आज भी इस भौतिकतावाद में कई अध्यापक अपने अध्यापन की गरिमा बनाय हुए हैं |आज शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर यह घटना यद् आ गई |और बरबस ही यह मुहं से निकल रहा है
गुरुर ब्रह्मा , गुरुर विष्णु ,गुरुर देवो महेश्वरा
गुरुर शाक्षात पारब्रहमां तस्में श्री गुरुवे नमः