Monday, March 21, 2016

सन्देश

धरा से सीखो सहनशीलता
सीना चीरने पे भी लहलाती फसलें दे

आसमां से सीखो विशाल ह्र्द्यता
अनंत, अथाह दूर दूर तक एक समान

पर्वतों से सीखो अडिग सुदृढ़ता
हर तूफां को झेल अडिग खड़े

नदिया से सीखो  अपनी राह चलना
हर बाधा को तोड़ कलकल बहना

रवि से सीखो प्रकाश बिखेरना
हर सुबह अपने पथ पर चलना
खुद को जला  औरों को रौशन करना

चाँद से सीखो शांत प्रसन्नचित रहना
इतना मधुर कि सब जुड़ना चाहें

पंछिओं से सीखो तिनका तिनका जोड़
नीड़ बना उसे आशाओं से भरना

हवा से सीखो सब संग उडाना
दूर दूर तक पहुंचाना

प्राकृति हर शै में  सुंदर संदेसा भेजे
बीएस हमको है उसे  पढ़ जीवन में उतारना

Friday, March 4, 2016

बढ़े चलो

 मेरे देश के नौनिहालों बढ़े चलो
हर आँख की आस को पूरा करे चलो

राह कठिन तो है असंभव  नहीं
हो बापू की आस , भगत सिंह की हुंकार
झाँसी की रानी सी वीरता , बोस सा साहस
ले  कर्तव्य पथ पे डटे रहो .............

तुम बनो निर्माता नव भारत के
माँ भारती तुम्हें पुकार के कहे
तोड़ो जात पात के बंधन
भारत माँ के लाल हो याद रहे

इक नया इतिहास तुम्हे बनाना है
हर लव पे हो झंडा ऊँचा रहे हमारा
सब धर्मो से उपर राष्ट्र धर्म बनाना है
जय माँ भारती , जय माँ शारदे कहे चलो

मेरे देश के नौनिहालों बढ़े चलो
हर आँख की आस को पूरा करे चलो






Friday, January 29, 2016

आंतकवाद

                       विधा :- स्वंतत्र
                      किसने बनाया आंतकवाद ,
                      ना इसका कोई धर्म ना जात
                       इंसानियत से तो कोई नाता नहीं
                        हैवानियत का पुजारी है यह


                     कितने घर उजाड़े इसने
                     कितनो  की मांगें उजाड़ दी
                      कितनी कोखें सूनी कर दी
                    हर और दहशत फैला  दी

                  भाई भाई का दुश्मन बना दिया
                   जिसका कोई वजूद ही नहीं
                   उसपे झगड़ा करवा दिया
                वाह रे वाह  आंतकवाद  ...........
               

               सरे  राह बहन बेटी की इज्ज़त
                उछाल रहे हो नाम जिहाद का देकर
               माँ सूनी आँखों से राह निहारटी
                 उस पूत की जो कभी आने वाला नहीं

                नन्हें दीयों को बुझा कौन सा
              उजाला   करने वाले हो .........
                  खून  की नदियाँ  बहा
                 किसे पवित्र करने वाला है

               सोच के देखो कल
             इनकी जगह  तुम्हारे अपने होंगे
                 मत जिओ भ्रम में
           जो बीज रहे हो कल काटना भी है .......आशा  शर्मा डोहरू

Saturday, January 9, 2016

मित्रता

            विधा :- स्वंतत्र

    इत्र सी होती है मित्रता
    सब रिश्तों की पूर्ती
     होती है मित्रता .....

   जहाँ सब छोड़ जाते हैं
   वहां आ खड़ी होती है मित्रता
   कठिन से कठिन समय
   भी मुस्कुराना सिखाती है मित्रता .........

   करण का त्याग व
  अर्जुन  सा विश्वास
   सुदाम कृषण सा
    भाव है मित्रता ........

   रोने के लिए कन्धा
  ख़ुशी में खिलखिलाहटें
    देती है मित्रता .................

    असल मायने  में
    तो यही है मित्रता
    बात और है लोग
   अपने अनुसार गढ़
        लेते हैं मित्रता ..........

   खुशनसीब  होंगे वो लोग
  जिन्हें सही मायने में
   आज के समय में मिल
  जाए सच्ची मित्रता