दुआयें जहाँ अपनों के लिए दुआएँ मांगने जाते थे वहां आज अपनों की सलामती कर रहे हैं भगवन हमें यहाँ से सकुशल बचा ले अबकी बार सब घरों मैं बैठे भगवन से कह रहे हैं हमारे लोगों को बचाना मन्नते मांग रहे हैं बस इस बार बचा ले कोई जंगल में कोई सड़क किनारे वहां भी सहमे हुए उफ़ कुदरत बेरहम है या हम भूल गए हैं हमसे भी उपर कोई ताकत है विधि को कोई नहीं पढ़ सकता लाख दावे कर वो शक्ति अपरम्पार है मौसम विभाग के दावे प्रक्रति का क्रोध कौन शांत करे कितनी लाशो के अम्बार लगे होंगे भूख से बच्चे बिलख रहे होंगे अब तेरियां तू ही जान पर माओं के बेटे ,बहनों के भाई पत्नी के पति लौटा दे बस यही इल्तजा है अल्लाह वालो राम वालो अपनों को बचा लो............
आमीन ....
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