Tuesday, June 18, 2013

दुआयें

                          दुआयें
जहाँ अपनों के लिए दुआएँ मांगने जाते थे
वहां आज अपनों की सलामती कर रहे हैं
भगवन हमें यहाँ से सकुशल बचा ले अबकी बार
सब घरों मैं बैठे भगवन से कह रहे हैं हमारे लोगों को बचाना
मन्नते मांग रहे हैं बस इस बार बचा ले
कोई जंगल में कोई सड़क किनारे वहां भी सहमे हुए
उफ़ कुदरत बेरहम है या हम भूल गए हैं
हमसे भी उपर कोई ताकत है
विधि को कोई नहीं पढ़ सकता
लाख दावे कर  वो शक्ति अपरम्पार है
मौसम विभाग के दावे प्रक्रति का क्रोध
कौन शांत करे कितनी लाशो के अम्बार लगे होंगे
भूख से बच्चे बिलख रहे होंगे
अब तेरियां तू ही जान
पर माओं के बेटे ,बहनों के भाई
पत्नी के पति लौटा दे
बस यही इल्तजा है
अल्लाह वालो राम वालो अपनों को बचा लो............



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