आदत हो गई है
उनकी आदत हो गई और हमारी इबादत हो गई
हमें उनकी गलतिओं की आदत हो गई
उन्हें सितम धने की आदत हो गई
हमने शायद में जिंदगी बिता दी
उनहोंने सितम ढाने में महारत हासिल कर ली
अब आ के सोचा तो क्या पाया
हमने तो यूँ ही जिंदगी गवा दी
अब इस मोड़ पे कहाँ जाएँ
न मुड़ने की हिम्मत न रह बदलने का साहस
bahut badhiya sakhi
ReplyDeleteTHAnks Sakhi
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा आशा
ReplyDeleteधन्यवाद रमा
ReplyDeleteYjamks Upasna ji
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