आज जिंदगी ने एकऔर तजुर्बा दे दिया
समझते हुए भी हमसे यह पाप हो गया |
सुना भी था पढ़ा भी था कई बार कई जगह
अपने दर्द अपने तक सीमित रखो छुपा कर |
लोग हसतेचेहरों के दीवाने हैं मुस्कुराहटों पे लुट जाने वाले हैं |
रजो गम जो बताओगे किसी को कुछ देर दिखावा कर
मज़ाक बनाएंगे बाद में हसेंगे तमाशा बन जाएगा |
एक और रंग ज़िन्दगी आज मिल गय हमें ,
समझते बूझते यह पाप हो गया हमसे |
सलाम ज़माने के इस अभिनय को
कितने मंझे हुए कलाकार हैं यहाँ
मुखौटे मासूमियत के ओढ़े |
रिश्तों की दुहाई दे किसी के अरमानों का
कत्ल करने वाले हेर मोड़ पे मिल जायेंगे |
समझते हुए भी हमसे यह पाप हो गया |
सुना भी था पढ़ा भी था कई बार कई जगह
अपने दर्द अपने तक सीमित रखो छुपा कर |
लोग हसतेचेहरों के दीवाने हैं मुस्कुराहटों पे लुट जाने वाले हैं |
रजो गम जो बताओगे किसी को कुछ देर दिखावा कर
मज़ाक बनाएंगे बाद में हसेंगे तमाशा बन जाएगा |
एक और रंग ज़िन्दगी आज मिल गय हमें ,
समझते बूझते यह पाप हो गया हमसे |
सलाम ज़माने के इस अभिनय को
कितने मंझे हुए कलाकार हैं यहाँ
मुखौटे मासूमियत के ओढ़े |
रिश्तों की दुहाई दे किसी के अरमानों का
कत्ल करने वाले हेर मोड़ पे मिल जायेंगे |
कदाचित सत्य ही कहा..सुन्दर अभिव्यक्ति ..आशा जी
ReplyDeleteधन्यवाद जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सही बात आशा ....सुंदर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद रमा
ReplyDelete