वो तेरी लहराती ओढ़नी ,तेरा चेहरे को चूमती लटों को हटाना
घटाओं से चाँद झांक रहा हो जैस तेरा यूँ मुस्कुराना
वो अलबेली सी अठखेलियाँतेरी , जैसे अपनी ही दुनियाँ में होना वो निश्छल हंसी ज्यूँ कलियाँ मुस्करा रही हों कहीं
वो तेरी चूढ़ीओं की खनखनाहट जैसे संगीत रस घोल रही
पैजनियाँ तेरे पगों को धरने की संगीत बध लय का होना
धरा की तो लगती नहीं तुम , अंग अंग ऐसा जैसे
फुर्सत में रचना की हो तेरी रचनाकार ने
उफ़ धरा पे गलती से आ गई , किस दुनियां की हो तुम
वो तेरी मांग में चमकता सिंधूर किसी की अमानत हो तुम
माथे पे बिंदिया का चार चाँद लगाना तेरे रूप को
अप्सरा हो तुम , या कोई सपना हो किसी रचनाकार का
एक ऐसी आभा तेरे मुख पर , जिसका सामना हर कोई न कर पाए
क्या नाम दूं तुझे , सपना या हकीकत , कवी की कविता
अभी तक असमजंस में हूँ मैं क्या नाम दूं तुझे
घटाओं से चाँद झांक रहा हो जैस तेरा यूँ मुस्कुराना
वो अलबेली सी अठखेलियाँतेरी , जैसे अपनी ही दुनियाँ में होना वो निश्छल हंसी ज्यूँ कलियाँ मुस्करा रही हों कहीं
वो तेरी चूढ़ीओं की खनखनाहट जैसे संगीत रस घोल रही
पैजनियाँ तेरे पगों को धरने की संगीत बध लय का होना
धरा की तो लगती नहीं तुम , अंग अंग ऐसा जैसे
फुर्सत में रचना की हो तेरी रचनाकार ने
उफ़ धरा पे गलती से आ गई , किस दुनियां की हो तुम
वो तेरी मांग में चमकता सिंधूर किसी की अमानत हो तुम
माथे पे बिंदिया का चार चाँद लगाना तेरे रूप को
अप्सरा हो तुम , या कोई सपना हो किसी रचनाकार का
एक ऐसी आभा तेरे मुख पर , जिसका सामना हर कोई न कर पाए
क्या नाम दूं तुझे , सपना या हकीकत , कवी की कविता
अभी तक असमजंस में हूँ मैं क्या नाम दूं तुझे
Dhanyabad Rajender ji
ReplyDeletewah jarur koi kavi ki kalpna hi hai ..
ReplyDeleteJi Upasna sakhi kavi ki kalpna lagi mujhe bhi
ReplyDeleteअच्छी है ।
ReplyDeleteधन्यवाद जोशी जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteShukriya Darshan Jangra ji
ReplyDeleteक्या नाम दूं तुझे , सपना या हकीकत , कवी की कविता
ReplyDeleteअभी तक असमजंस में हूँ मैं क्या नाम दूं तुझे
सही कहा जी आपने .
धन्यवाद संजय जी
ReplyDeleteलाजवाब और भावपूर्ण रचना...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@आप की जब थी जरुरत आपने धोखा दिया
dhanyabad Chaturvedi ji
ReplyDeleteकिसी कवि की कल्पना ..और क्या
ReplyDeleteMeena ji abhaar
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