रोज़ एक आस लगाये सोती हूँ
शायद कल बदल जाए सब |
कल फिर आज को दोहराता है
कब धुंद छटेगी उजाला होगा |
कब इन वीरानो में भी
खुशिओं की महक बिखरेगी |
छोटे छोटे एहसास कुलांचें भरेंगे
खिलखिलाहटो की झंकार गूंजेगी |
कब रौशनी इस वीरानें को रौशन करेगी
या मेरी चाहत यूँ ही मौन कहीं खो जाएगी|
अजब दस्तूर है तेरा ज़िन्दगी
अजब तेरे इरादे हैं ज़िन्दगी |
जितना तुझे समेटते हैं
उतनी सूखे पत्तों सी बिखर जाती है |
बहुत आजमा लिया तूने मुझे
आ अब मैं तुझे आजमाती हूँ |
शायद कल बदल जाए सब |
कल फिर आज को दोहराता है
कब धुंद छटेगी उजाला होगा |
कब इन वीरानो में भी
खुशिओं की महक बिखरेगी |
छोटे छोटे एहसास कुलांचें भरेंगे
खिलखिलाहटो की झंकार गूंजेगी |
कब रौशनी इस वीरानें को रौशन करेगी
या मेरी चाहत यूँ ही मौन कहीं खो जाएगी|
अजब दस्तूर है तेरा ज़िन्दगी
अजब तेरे इरादे हैं ज़िन्दगी |
जितना तुझे समेटते हैं
उतनी सूखे पत्तों सी बिखर जाती है |
बहुत आजमा लिया तूने मुझे
आ अब मैं तुझे आजमाती हूँ |
बहुत सुंदर ....दिल छू लिया आशा
ReplyDeleteधन्यबाद रमा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी
Deleteआपकी लिखी रचना की ये चन्द पंक्तियाँ.........
ReplyDeleteरोज़ एक आस लगाये सोती हूँ
शायद कल बदल जाए सब |
कल फिर आज को दोहराता है
कब धुंध छटेगी उजाला होगा |
.......शनिवार 05/10/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
को आलोकित करेगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!
dधन्यवाद यशोदा जी
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद ओंकार जी
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