दो शब्दों में मिटा दिया सब
हमतो तुम्हे खुदा से भी उपर
समझ बैठे थे
तुम खुदा न सही
इंसान तो बन सकते थे
हम कंकरों में हीरे तलाशते रहे
तुम किरचें बन कब घाव दे गए
कुछ भी नहीं सोचा
खनाक से सब तबाह कर दिया
पल भर सोचा तो होता
कुछ और भी टूटा है
विशवास तो बना रहने देते
कहाँ भूल भुल्लैया में उलझ बैठे
फ़रिश्ते कहां से समझ बैठे
इंसानों का जहाँ अकाल पड़ा है
तुम भी औरों जैसे ही निकले
अंदर तक तोड़ दिया तुमने
इतने उपर बिठा दिया है तुम्हें
कि अब गिरा भी नहीं सकते
अच्छा है रस्ते बदल लें
हमतो तुम्हे खुदा से भी उपर
समझ बैठे थे
तुम खुदा न सही
इंसान तो बन सकते थे
हम कंकरों में हीरे तलाशते रहे
तुम किरचें बन कब घाव दे गए
कुछ भी नहीं सोचा
खनाक से सब तबाह कर दिया
पल भर सोचा तो होता
कुछ और भी टूटा है
विशवास तो बना रहने देते
कहाँ भूल भुल्लैया में उलझ बैठे
फ़रिश्ते कहां से समझ बैठे
इंसानों का जहाँ अकाल पड़ा है
तुम भी औरों जैसे ही निकले
अंदर तक तोड़ दिया तुमने
इतने उपर बिठा दिया है तुम्हें
कि अब गिरा भी नहीं सकते
अच्छा है रस्ते बदल लें
बहुत ही सुंदर एवं भावपूर्ण रचना ! शुभकामनायें !
ReplyDeleteDhanyabad Sadhana Vaid ji
Deletebahut -bahut sundar .....parkhiye mat kisi ko ...
ReplyDeleteShukriya Upasna ji
Deleteसुंदर रचना.
ReplyDeleteDhanyabad Rakesh ji
ReplyDeleteDhanyabad Rajender Kumar ji
ReplyDeleteबहुत सुंदर......
ReplyDeleteधन्यवाद Kaushal जी
Deleteबहुत ही उत्तम प्रस्तुति व रचना , आशा जी धन्यवाद !
ReplyDeleteनवीन प्रकाशन -: बुद्धिवर्धक कहानियाँ - ( ~ सच्चा साथी ~ ) - { Inspiring stories -part - 6 }
~ ज़िन्दगी मेरे साथ -बोलो बिंदास ! ~( एक ऐसा ब्लॉग जो जिंदगी से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताता हैं )
धन्यवाद आशीष भाई जी
Deleteआज तो इंसान ढूंढें नहीं मिलते ... आवरण के पीछे शैतान मिलते हैं ...
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना ..
सही कहा आपने Digamber जी
Deleteशुक्रिया राजीव कुमार झा जी
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