ये कहाँ आ गए हम , कुछ याद नहीं
हम जी रहे हैं या जीने का दिखावा है यह
सूखे पत्ते भी हवा के झोंको से हिलते हैं
पथ्थर भी आवाज़ करते हैं टकराने पे
हम जड़ से बेआवाज़ बेसुध पड़े हैं
किस जगह रुक गए यूँ चलते चलते
सब चलते चलते आगे बढ़ गए
हमीं ठहर गए जो अविरल धारा से बहते थे
जिसके लिए ये ठहरे उसे तो शायद उससे तो एहसास भी नहीं
अब तो हिसाब भी नहीं क्या खोया क्या पाया
क्यूँ रुक गए वो लहराते पवन के झोंके
वो चहकती बुलबुल क्यूँ मौन हो गई
जिसके गीतों से घर आंगन गूंजता था
कहाँ खो गए वो गीत , क्यूँ चुप हो गई वो
कहाँ खो गई वो खनखनाहट
क्यूँ मौन हो गई वो पायल
एक अनसुलझा सवाल जो शायद कभी न सुलझ पाए
हम जी रहे हैं या जीने का दिखावा है यह
सूखे पत्ते भी हवा के झोंको से हिलते हैं
पथ्थर भी आवाज़ करते हैं टकराने पे
हम जड़ से बेआवाज़ बेसुध पड़े हैं
किस जगह रुक गए यूँ चलते चलते
सब चलते चलते आगे बढ़ गए
हमीं ठहर गए जो अविरल धारा से बहते थे
जिसके लिए ये ठहरे उसे तो शायद उससे तो एहसास भी नहीं
अब तो हिसाब भी नहीं क्या खोया क्या पाया
क्यूँ रुक गए वो लहराते पवन के झोंके
वो चहकती बुलबुल क्यूँ मौन हो गई
जिसके गीतों से घर आंगन गूंजता था
कहाँ खो गए वो गीत , क्यूँ चुप हो गई वो
कहाँ खो गई वो खनखनाहट
क्यूँ मौन हो गई वो पायल
एक अनसुलझा सवाल जो शायद कभी न सुलझ पाए
बहुत सुंदर लिखा आशा
ReplyDeleteThanks Rama
Deleteधन्यवाद राजीव कुमार झा जी
ReplyDeleteसुन्दर रचना,,,, वस्तुत : पहली बार आपके चिट्ठे पर आना हुआ है।।
ReplyDeleteनई कड़ियाँ : एशेज की कहानी
भारतीय क्रिकेट टीम के प्रथम टेस्ट कप्तान - कर्नल सी. के. नायडू
धन्यवाद Harshvardhan जी
Deleteसार्थक अभिवयक्ति......
ReplyDeleteधन्यवाद Sushma जी
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteधन्यवाद राजीव जी
ReplyDeleteमुझे चोपाल का ज्यदा पता नहीं था
आज देखा
अच्छा लगा और हर्ष हुआ
आप लोगो के उत्साह से ही हमारी रचनाओं में सुधार आ सकता है
उत्साहित करता है लिखने के लिए