Wednesday, September 4, 2013

गुरुर ब्रह्मा , गुरुर विष्णु ,गुरुर देवो महेश्वरा


                   जैसे ही मैं स्कूल  के गेट  पे पहुंचा तो देखा की आज फिर वो लड़का अपनी छोटी बहिन का हाथ  थामें गेट पे खड़ा था | मन में आया कि कैसे माँ बाप हैंबच्चों  से जान छुडवाने के लिए इतनी सुबह इन नन्हे बच्चों  को घर से भेज दिया | बिना कुछ पूछे मैंने गेट खोला क्यूंकि अभी तक चपरासी महाशय नहीं पहुंचे थे |फिर मैंने देखा की वो अपनी छोटी बहिन का हाथ थामें विद्यालय के अंदर आया और उसे अपने पास बिठा कर एक जगह बैठ गया  | मैं प्रतिदिन उनेह गेट के बहार खड़े पाता |  ठिठुरती सर्दी में भी | मुझसे रहा नहीं गया
मैंने उन बच्चों को अपने पास बुलाया और पुछा ."बेटा आप इतनी सुबह सुबह स्कूल खुलने से भी पहले स्कूल क्यूँ आ जाते हो ?"
                           उस बच्चे का जबाब सुन कर मैं सन रह गया | उसने कहा ,"मास्टर जी माँ सुबह सुबह लोगों के घरों में काम करने चली जाती है |हमें स्कूल के लिए तैयार करके जाती हैं |घर में और कोई नहीं है तो वो हमें स्कूल भेज कर घर में ताला लगा देती है  |"उस बच्चे ने बताया  कि उसके पिता की मौत हो चुकी है घर में कोई और कमाने वाला नहीं है |" यह घटना जालंधर के पास के एक गांव की है |  यह सुनकर उस अध्यापक ने उन बच्चों को अपना लिया |उनकी पढाई का सारा खर्च और रोजमर्रा की सभी जरूरतों को पूरा किया | यह बच्चों की लगन कहिये या अध्यापक की मेहनत  वो बच्चे  पढ़ाई  में बहुत होशियार निकले |
                                                                                                  अपनी पढ़ाई पूरी करके वो लड़का और लड़की विदेश में अच्छे  पद के लिय चुन लिए गए |वो बच्चे आज भी अपने अध्यापक से जुड़े  हुए हैं और पता नहीं उस स्कूल के कितने बच्चों की पढ़ाई का खर्च वहन कर रहे हैं |वो पूर्णतया उस स्कूल और अधायपक को समर्पित हैं | आज भी इस भौतिकतावाद में कई अध्यापक अपने अध्यापन की गरिमा बनाय हुए हैं |आज शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर यह घटना यद् आ गई |और बरबस ही यह मुहं से निकल रहा है
             
गुरुर ब्रह्मा , गुरुर विष्णु ,गुरुर  देवो महेश्वरा
            गुरुर शाक्षात पारब्रहमां तस्में श्री गुरुवे नमः
 

                                                        

7 comments:

  1. प्रथमत: साधुवाद ऐसे शिक्षकों को जिन्होंने अपने पद की गरिमा बनायीं हुई है ..
    कृतज्ञता मानव का आभूषण है, इसे धारण करने से व्यक्तित्व में चार चाँद लग जाते हैं ..शिष्य का गुरु के प्रति यह भाव अनुकरणीय है . शुभ भावना को नमन

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  2. बहुत प्रेरक प्रस्तुति...

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  3. aap ki rachanaa sach me prrak hai.ese adhyaapaka bhi tarIkha laayk haim
    Shubh kaamanaaye,
    Vinnie

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    1. Shukriya Vinnie Ji
      Aise adhaypko ke karan hi abhi tak Shikshapranali bachi hui hai
      naman hai mera us adhaypak ko

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