सपनों में कब तक जियेगी यह नारी
रोज़ मर मर के क्यों जियेगी यह नारी |
किस जहाँ में पूजनीय थी तू
यहाँ यो पल पल घुटती है तू |
किसके लिए जीती है तू
खुद भी जानती नहीं है तू |
राम को अब भी सीता का त्याग चाहिए
सीता को क्या यूँ ही हर बार कुर्बान होना चाहिए |
समझ नहीं पाई तू , तभी तो नासमझ कहलाई तू ,
बस कर अब तो जाग जा तू |
माँ , बेटी, पत्नी और बहन ही नहीं है तू ,
खुद का बजूद भी ढून्ढ अब तू |
किस आस में जी रही है तू ,
कुछ नहीं बदलेगा यूँ ही झूठे सपने देखती है तू |
कोई नहीं समझता तेरी ख़ामोशी ,
जिंदा होने का एहसास अब तो कर तू |
क्यूँ कठपुतली बनी हुई है तू ,
अब तो जाग सुबह का इंतज़ार मत कर तू |
आइय्ना देख खुद को भी पहचान न पाएगी तू ,
किस फ़रिश्ते के इंतज़ार में है तू |
रोज़ मर मर के क्यों जियेगी यह नारी |
किस जहाँ में पूजनीय थी तू
यहाँ यो पल पल घुटती है तू |
किसके लिए जीती है तू
खुद भी जानती नहीं है तू |
राम को अब भी सीता का त्याग चाहिए
सीता को क्या यूँ ही हर बार कुर्बान होना चाहिए |
समझ नहीं पाई तू , तभी तो नासमझ कहलाई तू ,
बस कर अब तो जाग जा तू |
माँ , बेटी, पत्नी और बहन ही नहीं है तू ,
खुद का बजूद भी ढून्ढ अब तू |
किस आस में जी रही है तू ,
कुछ नहीं बदलेगा यूँ ही झूठे सपने देखती है तू |
कोई नहीं समझता तेरी ख़ामोशी ,
जिंदा होने का एहसास अब तो कर तू |
क्यूँ कठपुतली बनी हुई है तू ,
अब तो जाग सुबह का इंतज़ार मत कर तू |
आइय्ना देख खुद को भी पहचान न पाएगी तू ,
किस फ़रिश्ते के इंतज़ार में है तू |
sahi kaha kis farishte ke intzaar me hain tu .....bahut sundar
ReplyDeleteati sunder
ReplyDelete