कब आया
कब चला गया ,
पता भी ना चला
बोलने में कितना बड़ा
कितना लम्बा
साँस रुक जाये
कुछ साकार
कुछ प्रकार
कितने फलीभूत
कितने अधूरे
एहसास
कुछ नई उमंगें
कुछ टूटे सपनें
कुछ दुखती रगें
कुछ खिलते पल
खिलखिलाहटों
संग कुछ आहें
कुछ तिलिस्स्म
टूटे
कुछ में हम
खो गए
कब २०१४ बीता
समझ न सके
चलो नव वर्ष का
नई उमंगो नई
इच्छाओं ,नये उत्साह
से स्वागत करें
कब चला गया ,
पता भी ना चला
बोलने में कितना बड़ा
कितना लम्बा
साँस रुक जाये
कुछ साकार
कुछ प्रकार
कितने फलीभूत
कितने अधूरे
एहसास
कुछ नई उमंगें
कुछ टूटे सपनें
कुछ दुखती रगें
कुछ खिलते पल
खिलखिलाहटों
संग कुछ आहें
कुछ तिलिस्स्म
टूटे
कुछ में हम
खो गए
कब २०१४ बीता
समझ न सके
चलो नव वर्ष का
नई उमंगो नई
इच्छाओं ,नये उत्साह
से स्वागत करें
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