Thursday, March 19, 2015

यह मौसम बदला बदला सा क्यूँ है

   हवाओं मे खुम्मार सा है
   पुष्पों का अम्बार सा क्यूँ है
   अलसाई सी भोर में गुनगुनाहट सी क्यूँ है
   परिंदों की भी चहचहाट लुभावनी सी क्यूँ है
   चारों ओर मन लुभावनी महक सी क्यूँ है
   बादलों  की गरज में भी सनसनाहट सी क्यों है
   छू कर जाती हवाओं में भी सरसराहट सी क्यूँ है
     मद्धम मद्धम पायल चूड़ी का संगीत सा क्यूँ है
         यह चहुँ ओर ख़ुमार सा क्यों है
    पेड़  पौधों का रंग निखरा निखरा सा क्यूँ है
     मुस्कुराहटों चहचहाटो का दौर क्यूँ है
   कहीं  दूर भोर की दस्तक लगती है
   कहीं रौशनी  के पग का स्वर है शायद
   हल्का सा रौनकों का असार है शायद

2 comments:

  1. yah kisi ke aane ki aahat to nahi ....:)

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  2. Upasna सखी एक भोर की आहट लगती है :)

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